निम्नलिखित मानदंडों के अधीन नामांकित उम्मीदवारों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- सीख का अभिविन्यास–
इसमें ना-सीखने और दुबारा-सीखने के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है। इसमें पुरस्कार समारोह के दौरान और उसके बाद विभिन्न अवसरों के माध्यम से स्वयं-सीखने का अधिकार अपनाना और सक्रिय रूप से अंतर-सीख का हिस्सा बनना शामिल है। इसके अधीन विचार किए जाने वाले कुछ आयाम हैं
- आत्म जागरूकता
- आत्म-विचार की क्षमता
- क्या कोई पहचाना गया सीख एजेंडा है?
- प्रेरणा और प्रतिबद्धता
प्रेरणा और प्रतिबद्धता स्वयंसेवा के दो प्रमुख तत्व हैं। प्रेरणा, जुनून और प्रतिबद्धता का स्तर। क्या आवेदक ने किसी आत्म-विकास के उद्देश्य और परिवर्तन लाने की बड़ी दृष्टि या खुद एक स्वयंसेवक बनने का संकेत दिया है।
3. जुनून दिखाया है, किसी विशेष कौशल का ज्ञान होने के बावजूद, यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति में परिवर्तन लाने के लिए अपने समुदाय/ क्षेत्र में कुछ सक्रिय और रचनात्मक कार्य करने का जुनून होना चाहिए।
4. सामाजिक समावेश– समावेशन के सभी पहलुओं की बड़ी समझ, और साथ ही क्षेत्र/ समुदाय में किए गए कार्यों में विभिन्न माध्यमों से इसका प्रदर्शन करना। आवेदक अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में सामाजिक अपवर्जन और भेदभाव के प्रति क्या प्रतिक्रिया करते हैं। क्या स्वयंसेवा परियोजना के विचार/ अवधारणा और आवेदक द्वारा सामना किए गए/ देखे गए सामाजिक अपवर्जन या भेदभाव के अनुभव के संबंध में कोई सीधा संबंध है। लोगों को साथ लेकर चलना; मन में सहयोग की ठोस भावना होना।
5. समुदाय में परिवर्तन– स्वयंसेवा के प्रयासों के माध्यम से जुड़े समुदायों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना। बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचना। समुदाय के साथ जुड़ाव की गहराई। लोगों का मन बदलना, संस्कृति, प्रथा या प्रक्रिया की प्रकृति बदलना। उदाहरण और कहानियों के ज़रिए हल की गई समस्या का सबूत। समुदाय के किसी सदस्य से लिखित या वीडियो प्रमाण।
6. रचनात्मकता और नवाचार – लोग जिस तरह से समुदाय के साथ जुड़ते हैं, अगर उसमें रचनात्मकता और नवाचार लाया गया है, तो ये एक अतिरिक्त लाभ होगा। नवाचार और रचनात्मकता। ऐसा कोई भी नवाचार या प्रयोग जो व्यक्ति ने स्वयंसेवा परियोजना के दौरान किया हो।